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मनीष जी पिछले कई वर्षों से शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षा, मोटीवशनल स्पीकर, कानून, वित्त, राजस्व, कर, धर्म एवं अध्यात्म जैसे कई मुद्दों पर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोगों का मार्गदर्शन करते रहे हैं, जहाँ आडिओ फॉर्म के रूप मे यह काफी लोकप्रिय रहे व वोकल, बोलकर जैसे कई प्लेटफॉर्म पर इन्हें 4 करोड़ से ज्यादा बार सुना गया, इस अनुभव से प्रेरित होकर, इसे आगे बढ़ाते हुए आपने लेखन के क्षेत्र मे कदम रखा और अपना पहला उपन्यास ‘बेरंग लिफाफे’ प्रकाशित कराया ,इस उपन्यास मे इनके अनुभव और प्रेरणा का मिश्रण देखने को मिलता है, यह उपन्यास आते ही 2 दिन मे ही बेस्ट सेलर होकर आउट ऑफ स्टाक होगया, फिर कुछ दिन बाद इसे पुनः उपलब्ध करवाया गया , इसकी सफलता से प्रेरित होकर लेखक ने इसका इंग्लिश वर्जन लाने का भी मन बनाया हे, व जल्दी ही यह आप सबके समक्ष होगा । इस उपन्यास के ठीक चार महीने बाद ही इंका दूसरा उपन्यास हम सबके बीच मे है जो एक पौराणिक उपन्यास है ‘नल दमयंती, सतयुग की अमर गाथा’ यह amzon व flipkart पर उपलब्ध है,

तीसरी किताब कचहरीनामा है,यह एक कहानी संग्रह है जो कचहरी,तहसील एवं अन्य सरकारी कार्यालयों के इर्द गिर्द एवं मनीषजी के वास्तविक अनुभवों पर आधारित है, इसे पढ़कर आप देश के सिस्टम को सिर्फ देखेंगे ही नहीं वल्कि जिएंगे भी, यह किताब देश भर के प्रशासनिक अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है

इसके अलावा ऐसे ही कई विषयों पर मनीष जी लगातार कहानी लिखते रहते हैं जिन्हें आप उनकी सोशल मीडिया पर या फेसबुक पर पढ़ सकते हैं,साथ ही एक अन्य आध्यात्मिक उपन्यास व कहानी संग्रह पर अभी कार्य चल रहा है, जल्दी ही आपको अगली किताब भी देखने को मिलेगी ।

(‘बेरंग लिफ़ाफ़े’ की कहानी के बारे मे जानना चाहें तो ,ब्लॉग मे जाकर ‘नवोदय और हम’ एवं ‘नए कलेक्टर’ ब्लॉग पढ़ सकते हें ।)

यह पेपर बेक और e book, दोनों फॉर्मेट मे उपलब्ध है