यदुवंश

****यदुवंशी****जब हम चंद्रवंशीय क्षत्रियों का अध्यन करते हैं, तो प्राचीन ग्रंथों में सोमवंशी क्षत्रिय का भी जिक्र मिलता है | चंद्रमा को सोम और इंदु दोनों के रूप में लिखा जाता है, क्योंकि यह चंद्रमा के ही पर्यायवाची शब्द हैं,इसी चंद्रवंश का नाम ही सोमवंश है, | इस वंश के लोग पंजाब,बिहार और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि क्षेत्रों में अधिकांशतः रहते हैं , कौंडिन्य गोत्र में जन्मे ,यजुर्वेद और बाजसनेयी शाखा को मानने वाले इस वंश के सभी लोग यदुवंशी कहलाते हैं।इनके गुरु दुर्वासा ऋषि थे,कुलदेवी योगेश्वरी हैं । महाराज ययाति इसी वंश के प्रसिद्ध राजा हुए थे और उन्हीं के पुत्र का नाम यदु था जिसके नाम पर यादव वंश की प्रतिष्ठा हुई, इसमें और भी कई प्रतिष्ठित राजा हुए जिसमें शूरसेन, उग्रसेन और कृष्ण भगवान जैसे शासक भी रहे ,कृष्ण जी के समय यह वंश अपने श्रेष्ठतम स्थान में था, यदुवंशियों की मुख्य 8 शाखाएं प्रसिद्ध है (1) करोल के राजा -जिनकी मथुरा की जागीर है, (2)भट्टी – जैसलमेर के राजा हैं ,(3) जड़ेज या जोड़जा, कच्छ भुज के राजा, यह अपने को साम्ब का पुत्र (कृष्ण जी का पुत्र,जो 16 कलाओं में निपुण थे,और जिन्हें कुल के पतन की बजह माना गया) भी कहते हैं ,इनका राज्य जाम कहलाता है ।(4) जादौन, (5)शथ, मुख्यतः हैं, विन्धी और समेचा भी यदुवंश की महत्वपूर्ण शाखाएं थी जिनमें से अधिकांश लोगों ने इस्लाम अपना लिया था इनकी कई प्रशाखा भी हैं जो कि यहां लिखा जाना संभव नहीं है ।

मनीष भार्गव