प्रशासन और लोकप्रियता

*****प्रशासन और लोकप्रियता****

एक बार बात बात में एक sdm साहब को मैंने सलाह दे दी कि पेपर में अपना बड़ा सा फ़ोटो निकालकर जनता को बताएं कि हमने इस साल सभी गांव के सम्पूर्ण किसानों के प्रकरण को निबटा दिया है,व यह काम सिर्फ 2 महीने में ही हुआ और कोई भी आवेदन पेंडिंग नहीं बचा,औऱ बड़ा सा आपका फ़ोटो लगाकर सभी जगह लगवा देते हैं, साथ मे हम लोगों के भी छोटे छोटे लगा फ़ोटो लगा देंगे ।सुनते ही sdm साहब बोल पड़े ” अभी नौकरी करना सीखें नहीं हो,ऐसी गलती भूलकर भी मत करना जिसमें नेताओं को लगे कि आप पॉपुलर हो रहे हो”इसको और ज्यादा स्पष्ठ करते हुए उन्होंने समझाया नेताओं की एक स्वभाविक ईर्ष्या प्रशासकीय अधिकारियों से होती है,क्योंकि वास्तव में सत्ता तो नेता के ह्रदय में रहती है,लेकिन उसका उपभोग अधिकारी ही करते हैं,और जनता के सीधे संपर्क में प्रशासकीय अधिकारी आते हैं ।एक बहुत अच्छा, ईमानदार ,विनम्र अधिकारी नेता का बहुत बड़ा दुश्मन होता है,क्योंकि ऐसा अधिकारी लोकप्रिय होता है ,और लोकप्रियता एक मात्र नेता की बपौती है । ऐसा अधिकारी जनता के कार्य सरलता से कर देता है ,इस कारण नेता को जनता नहीं पूछती ,यह उनकी भारी क्षति है ।अतः प्रशासकीय अधिकारी को चाहिए कि कार्य करते समय श्रेय नेता को ही दें, अन्यथा उन्हें खमियाजा भुगतना पड़ेगा ।अधिकांश नेताओं को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि जनता की क्या भलाई हो रही है वल्कि इस बात से फर्क पड़ता है कि भलाई का श्रेय उनको और बुराई का विपक्ष को मिले

मनीष भार्गव

#तहसीलनामा