पटवारी

patwari

पटवारी शब्द संस्कृत के शब्द “पट्ट” से बना है, पट्ट या पट्टू शब्द का अर्थ होता है “विशेषज्ञ” । पुराने समय जो भूमि की जानकारी में विशेष योग्यता रखते थे उसे पटवारी नियुक्त किया जाता था । यह पद बड़े मान सम्मान एवं गौरव का होता था । पुराने समय में बड़े-बड़े लोग इस पद के लिए लालायित रहते थे । तब यह वर्ग अत्यंत प्रभावशाली व ईमानदार तथा न्याय प्रिय था । क्षेत्र में इसका सबसे अधिक प्रभाव भी था । जैसे-जैसे इस पर अविश्वास किया गया पद का अवमूल्यन किया गया तथा पद का अवमूल्यन किया गया वैसे- वैसे ही इसका पतन होता गया । इसके पतन की कहानी तहसीलदार के तहसील दार न रह जाने की कहानी है ।कहा जाता है पटवारी सामंतवाद की अंतिम निशानी है, कई लोग यह जानना चाहते हैं कि पटवारी जो है वह ऐसा क्यों है या जो करता है वह क्यों करता है ?जो भी कार्य होता है उसके मूल में कारण छिपा होता है पटवारी की अपनी ऐसी कई कठनाई हैं कि जिनसे निबटने के लिए उसे यह सब करना पड़ता है । उसके वरिष्ठ अधिकारी जैसे नायब तहसीलदार, तहसीलदार,राजस्व निरीक्षक,एस.एल.आर., ए. एस. एल.आर., व एस. डी. एम.,कलेक्टर तक सभी यह अपेक्षा करते हैं कि पटवारी उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर(इच्छाओं के बारे में लिखना उचित नहीं समझता) अन्यथा वह उस जगह पटवारी नहीं रह सकता, भृमण के दौरान पटवारी को उनके लिए नाना प्रकार के संसाधन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी जाती है , यह सब न होने पर पटवारी पर वह सभी आरोप लगाए जाते हैं जिनका वह दोषी है जैसे मुख्यालय पर न रहना, भृष्ट होना, काम मे देरी करना आदि और उसे निलंबित तक किया जा सकता है अतः पटवारी भी इन सब समस्याओं से बचने के लिए यह सब करता है इसके अलावा पटवारी के ऊपर इतना काम है कि यदि वह दिन में 24 घण्टे और साल में 365 दिन काम करे तो भी 50% नहीं कर सकता,राजस्व विभाग व भू अभिलेख के अतिरिक्त अन्य विभागों के सभी कार्यों में पंचायत स्तर पर उससे मदद की उम्मीद की जाती है, साथ ही समय समय पर उससे कई विशेष प्रकार के प्रारूप कई प्रतियों में साप्ताहिक,मासिक,पाक्षिक व सीज़न के जमा करने होते हैं और हाँ यह सभी आज भी हस्तलिखित हैं,(या कुछ रिकॉर्ड पटवारी किसी और को करने भी नहीं देना चाहते) इसके अलावा किसानों की वितरण व अन्य समस्याएं जो ग्राम पंचायत से सम्बंधित हैं का भी काम रहता है, इसके अलावा सभी विभाग के अधिकारी व मंत्री पटवारी को अपना कर्मचारी मानकर धौंस दिखाते रहते हैं, पटवारी सबको संतुष्ट भी करता रहता है वह किसी से लड़ता नहीं है ।कभी कभी सरकार उनसे किसी विशेष दिन पर सभी प्रकार के प्रकरण को निबटाने का आदेश देते हैं भले ही उसका आवेदन 4 घण्टे पहले मिला हो, और पटवारी उसे निबटाता भी है(हालांकि उसे कुछ तरीके अपनाकर यह सब करना पड़ता है) पटवारी को गश्त गिरदाबरी करने का मौका ही नहीं मिलता इसलिये उसे खटिया गश्त, हनुमान गश्त या फर्जी गश्त करने को बाध्य होना पड़ता है(यदि इनको डिटेल में जानना चाहें तो कमेंट कर सकते हैं)इसके अलावा रेस्ट हाउस का खर्चा प्रत्यक्ष रूप से पटवारी को ही उठाना पड़ता है, हालांकि उसे तहसीलदार की सहमति के रूप में कुछ फायदा भी होता हैअंतिम बात पटवारी को गलत कार्य के लिए जनता भी लगातार प्रेरित करती है या दबाब डालती है जैसे गरीबी राशन कार्ड के लिए, सूखा या वर्षा ज्यादा दिखाने के लिए आदिपटवारी के नीचे भी ग्राम स्तर पर कोटवार होता है, लेकिन वह विल्कुल भी कुशल नहीं है व सिर्फ आदेश तामील करने या तामील करने के हस्ताक्षर करने के काम आता है थोड़ा योग्य होता है तो अधिकारियों का खाना बनाने या ड्राइवर बनने के काम आता है, इस पद को योग्य बनाकर पटवारी को ज्यादा जबाबदेही या पेशेवर बनाया जा सकता हैहालांकि इसका मतलब यह नहीं कि सभी पटवारी ईमानदार होते हैं,पटवारी की होशियारी के बारे में अलग से लिखा जाएगा