तंबर वंश /तोमर वंश

तंबर वंशदिल्ली में तंबर वंश के काफी लोग रहते हैं, यदि इनके इतिहास का अध्ययन करें तो पता चलता है , तंबर या तोबर ,चंद्रवंशी राजा परीक्षित के वंशज हैं ।यजुर्वेदी के वाजसनेयी शाखा के गार्ग गोत्र में जन्मे ,कालांतर में तोमर कहलाने लगे, इनको कुल 36 राजकुलों में स्थान मिला है, चंद्रवरदाई ने इन्हें पांडव के वंश से बतलाया है, महाराजा विक्रमादित्य इसी वंश में हुए थे, और इसी वंश के अनंगपाल तंवर ने 848 ई. में उजड़ी हुई दिल्ली को फिरसे बसाया था । इन्हीं अनंगपाल की 20 वीं पीढ़ी में दृसरे अनंगपाल हुए, जिनकी कोई संतान न होने के कारण चौभान कुलभूषण ,जो उनका नाती था गद्दी पर बैठाया , हालांकि राजवाली में लिखा हुआ है कि राज्य को पृथ्वीराज ने छीन लिया था । राय बहादुर पंडित गौरीचंद्र हीरा झा के अनुसार , एक शिलालेख से पता चलता है कि चौभानों ने विक्रम संवत 1220 में राज्य छीन लिया था (टॉड राजस्थान में इसका जिक्र मिलता है) इसके बाद इनका ठिकाना तुअरगढ़ का इलाका होगया ,जो चंबल नदी के दाहिनी ओर यमुना के संगम तक है ।जयपुर राज्य में भी पाटन तुअर बाटी की एक जागीर है जो अपने को दिल्ली के इस प्राचीन सम्राट का बंशज कहते हैं । बाद में तोमर वंशियों की कई शाखाएं मिलती हैं जिनमें प्रमुख हैं , 1 तोमर ,2.जट 3. जंघारा 4. सोमबाल 5. बीरबाल (बरुआर) 6. रैकवाल 7 . मुबोल 8. तरार 9. पलिवार आदि और भी कुछ हैं ।जिनमें से कई जाति वर्तमान में नहीं हैं । व्याह का सम्वन्ध इनमें स्थान के आधार पर होता है । इनकी कुलदेवी प्रथमतः योगेश्वरी देवी का उल्लेख मिलता है, इनके अलावा चंडी, चंडिका, अन्नपूर्णा का भी जिक्र है । इन सभी उप वंशों का भी पृथक से इतिहास है, जिसे पोस्ट बड़ी होने के कारण नहीं लिख रहा हूँ

मनीष भार्गव