******जन सुनवाई और गरीब कलेक्टर******


जनसुनवाई में 11वे नंबर पर तेजपाल लाइन में लगा हुआ था,उसकी उम्र लगभग 50 के आसपास रही होगी, बदन को एक मैले कुर्ते से ढका हुआ था,कमर से नीचे पंचा लपेट रखा था, वह लिखना नहीं जानता था और किसी वकील या बाबू को देने के लिए उसके पास 10₹ या 20₹ की भी गुंजाइश नहीं थी, लेकिन उन्ही में से एक संवेदनशील वकील ने एक कागज का खराब सा टुकड़ा उसे दे दिया और कह दिया इस पर लिख कर आवेदन दे देना, पहले तो तेजपाल घूमता रहा फिर उसने एक साफ सुथरे कपड़े पहने हुए आदमी के सामने हाथ जोड़कर कहा “इस कागज पर शिकायत लिख दो” जब उसने पूछा क्या लिखना है तो तेजपाल इतना ही बोला “साहब बीपीएल बना दो” और उसने इतना ही लिख दिया ‘बीपीएल बना दो’, यही लेकर तेजपाल जनसुनवाई में पहुंच गया, जैसे ही उसका नंबर आया उसने हाथों को कुर्ते से पौंछकर अपना कागज आगे बढ़ा दिया, कलेक्टर साहब उस कागज को देखते ही बोले “क्या मजाक है? यह क्या है? आवेदन तो कम से कम पूरा सही से लिख कर ला सकते हो” उसी लाइन में तीन व्यक्ति पीछे 15वे नंबर पर भूखन नेताजी हाथ में 50 पेज का आवेदन लेकर खड़े थे वह तेजराम को पहचानते थे वह दोनों कोहनियों से आगे खड़े हुए लोगों को धकेलते हुए बढ़कर आगए और कलेक्टर साहब से कहा “साहब लिख तो दी उसने अपनी बात, उसका बीपीएल बना दो बहुत परेशान है गरीब आदमी है वह”
कलेक्टर साहब बोले गरीब है या नहीं है यह हम तय करेंगे इसके लिए सरकार के नियम हैं,निर्देश हैं, उसी हिसाब से गरीबी तय होगी” यह सुनते ही वह नेता जी भाव में आकर जोश से बोले “आपको पता भी है गरीबी क्या चीज होती है?”
बस यही नेता जी से गलती हो गई सामने जो कलेक्टर बैठे थे वह आम कलेक्टर नहीं थे, कोई आईआईटी से पढ़ कर आए हुए कलेक्टर नहीं थे, गरीबी से आए थे बी ए, एम ए करके और उन्होंने समाजशास्त्र विषय से पीएचडी भी की थी और इतना ही नहीं उनकी पी एच डी का विषय था ‘भारत में गरीबी व गरीबी उन्मूलन के व्यावहारिक उपाय’ कलेक्टर साहब इससे पहले प्रोफेसर ही थे उस दौरान भी कई युवाओं को गरीबी मिटाना सिखाया, फिर कलेक्टर बने थे उनके नाम के आगे कोई आई ए एस लगाए ना लगाए, लेकिन यदि डॉक्टर नहीं लगाया तो भड़क जाते थे, शुद्ध पीएचडी कर इस क्षेत्र में आए थे,अच्छे अच्छे विद्वान उनके सामने बात नहीं कर सकते थे, समाजशास्त्र का इतना ज्ञान कि सिर्फ गरीबी के ऊपर 70 परिभाषाएं बता सकते थे, वह बात आगे बढ़ाते हुए बोले “यदि ऐसा है तो सरकार से मांग करो गरीबी की परिभाषा बदल दें, मुझे मत सिखाओ गरीबी क्या होती है, किसकी परिभाषा जानना चाहते हो गरीबी पर?”
यह सुनकर नेताजी बोले
“गरीबी की परिभाषा तो नहीं पता साहब पर हम तो यही पूछ रहे हैं गरीबी क्या होती है आपको पता भी है?”
“गरीबी से ही आया हूं,मुझे तो सब पता है,तुम बताओ क्या है तुम्हारे नजर में गरीबी,किस विद्वान की परिभाषा पढ़ी है तुमने?”
नेता जी तेजपाल की तरफ हाथ करते हुए बोले “गरीबी यही है, जो अपनी बात कह भी नहीं सकती जो इतनी मजबूर है कि आंदोलन भी नहीं कर सकती यह गरीबी है” कलेक्टर साहब थोड़े से संवेदनशील हुए आवेदन पर एसडीएम को मार्क कर आगे बढ़ा दिया और अगले व्यक्ति का आवेदन हाथ में ले लिया,उसी हॉल में मैं भी बैठा था और मेरे विल्कुल पास एक प्रशिक्षु आई ए एस बैठे थे जो खुद गरीबी से आये थे जो लोक प्रशासन से पी एच डी कर रहे थे, और 1 वर्ष का मसूरी का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुके थे,वह नोट्स बनाते हुए डायरी में किसी शायर की पंक्तियां लिखने लगे
‘गरीबी और अमीरी की फकत यही कहानी है
गरीबी एक बुढ़ापा अमीरी एक जवानी है’

उसी समय मुझे सामने से खिच्च की आवाज आई मैं घबराकर देखने लगा तो पता चला जनसंपर्क कार्यालय का कैमरामैन मुहँ बाए तस्वीर ले रहा था,मैं थोड़ा सजग हुआ तो देखा वह तस्वीर तो प्रशिक्षु आई ए एस की ली जा रही थी, अगले दिन अखबार में बड़ी हैडिंग में लिखा था कि प्रशिक्षु आई ए एस को जिले में व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उस तस्वीर में मेरा भी दाएं हाथ का फोटो आया हुआ था जिसमें पहनी हुई शर्ट से मैं अपने आप को पहचान पा रहा था । उसी दिन साहब ने ट्विटर पर अपने बैच के नाम के साथ हैशटैग बनाकर ट्वीट किया,जो पूरे देश में वायरल हुआ और कई बेरोजगार जिससे प्रेरित हुए,मैं इसलिए खुश था कि मेरा हाथ भी हर जगह वायरल था मैं रिश्तेदारों और मित्रों को फोन लगा लगाकर बता रहा था, फलाने आई ए एस के साथ मेरी तस्वीर है,आज तक उस पेपर की कटिंग सम्हालकर रखी है ।
तेजपाल का आवेदन विल्कुल वैसा ही चला जैसा *कचहरीनामा* के मनोहर का था, वह आज भी गरीबी रेखा में नहीं आ पाया ।
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